Monday, 11 May 2020

जागने का समय आ गया है।

     जागने का समय आ गया है।

          हा,अब जागने का समय आ गया है।

          अब आप लोग कहेंगे कि हम तो पहले से ही जगे हुए हे। बेशक आप लोग जगे हुए होगे मगर मेरी नजर से तो आप लोग अभी भी सो रहे हो। अब आप लोग कहेंगे की वो कैसे?

          कभी कभी आपको ऐसा नई लगता कि ये काम आपको करना चाहिए , हा आपको पता है कि ये काम आपके लिए बहोत जरूरी है , मगर फिर भी आप लोग उसे नही करते। उसे आप लोग अलास बोलते है , मे उसे आत्मा की निंद्रा बोलता हू। जिसका मन सो जाता है,जिसकी आत्मा सो जाती है फिर भले ही वो इंसान पूरी रात जागता रहे फिर भी वो इंसान सोया हुआ ही रेहता हे। गुजराती मे एक कहावत है

                       "જગ્યા ત્યાં થી સવાર.."

और विवेकानंद जी ने भी कहा है की..

         "ઊઠો જગો અને ધ્યેય પ્રાપ્તિ સુધી મંડ્યા રહો.."

          उनके केहने का यह मतलब था कि अपनी आत्मा को जगाओ, अपने मन को जगाओ, जो काम निश्चित किया हे उसे पूरा करके ही दम लो।

          दुनिया मे सबसे भूखा समय होता है। यदि आप समय का पाचन नहीं कर सकते तो बेशक समय आपको निगल जाए गा। और समय बित जाने के बाद सिर्फ एक ही चीज हाथ मे रहती हे ओर वो होती हे पश्चाताप , पछतावा। "पर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।" ये आपके साथ ना हो इसलिए अभी भी समय हे जग जाईए। अपनी दो आंखो के अलावा अपनी मन की आंखे भी खोले। यू अपना समय बर्बाद ना करे ओर जागीए। ओर अपना काम शुरू कीजिए।

Morel : सोना बुरी बात नहीं हे , मगर समय पर जागना भी तो आवश्यक होता है ना..!!

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