आत्मविश्वास
जीस प्रकार नदियां जल के बिना अधूरी होती हे, ठीक इसी प्रकार इंसान भी आत्मविश्वास के बिना अधूरा होता हे। नदी मे जल ना होने पे उसमे मछलियां नई रहती,उसमे कमल भी नई खिलते, ठीक इसी प्रकार इंसान मे आत्मविश्वास ना होने पे वो कोई कार्य नहीं कर सकता,वो कोई सफलता नई पा सकता। हा सफलता पाने के लिए लगन जरूरी होती हे मगर उस लगन तक पहोचने के लिए आत्मविश्वास जरूरी होता हे।
खुद पे विश्वास रखो ना यार, जो काम कोई दूसरा कर सकता हे वो तुम भी तो कर सकते हो ना । रामायण के अंगद को तो जानते ही होगे तुम लोग । हा वही जिसने रावण की सभा मे अपना पैर जमा दिया था। उसे केहते हे विश्वास , खुद पे विश्वास , आत्मविश्वास । उसे विश्वास था कि राम का नाम लेके मैने पैर जमा दिया है तो किसी मे इतना साहस नही की वो मेरे विश्वास को तोड सके। परिणाम आप लोग जानते ही है किसी से पैर नहीं उठा । अंगद का आत्मविश्वास जीत गया । शायद उसे थोडी सी भी शंका होती तो हो सकता हे कोई उसका पैर उठा भी लेता मगर नही कोई नहीं उठा पाया । इसी लिए केहता हू की खुद पे विश्वास रखे । जीत जाओगे ।
यदि ये पढ़ने के बाद आपमे थोड़ा सा भी विश्वास आया है तो जाईए जाके अपना काम शुरू कीजिए । ओर हा खुद पे विश्वास रखे , आत्मविश्वास रखे ।
Moral : जिस प्रकार नाव के डगमगाने से उसमे बैठा इंसान भी डगमगाने लगता है ठीक उसी प्रकार आत्मविशवास के डगमगाने से सफलता भी डगमगाने लगती हे..!!
https://youtu.be/E7bHnXQS9tk
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